बेरंग समा
●दामन जब तेरा छूटा,
अंधेरों से रिश्ता जोड़ लिया हमने।
●रंगों से दुश्मनी हो गयी है,
नसीब काली रातों को मान लिया हमने।
●लगता है डर रंगीन सुबह को देखकर,
रुख रातों की तरफ अपना कर लिया हमने।
●खिले रुखसार खुद के पसंद नहीं मुझे,
बीती तस्वीरों को निहारना छोड़ दिया हमने
●छेद रहे थे रंग दिल को गहराई से,
लिबास में कालिख को अपना लिया हमने।
●दीदार अक्सर तेरा होने लगा था खुद में,
निहारना खुद को छोड़ दिया है हमने।
●ज़िक्र तेरा ना हो जाए कंही भरी सभा में,
अपनों से भी मुंह मोड़ लिया है हमने।
●और कितना बदलें खुद को बता ए मेहरमा,
तेरे लिए खुद का क़त्ल कर दिया हमने।
●दामन जब तेरा छूटा,
अंधेरों से रिश्ता जोड़ लिया हमने।
●रंगों से दुश्मनी हो गयी है,
नसीब काली रातों को मान लिया हमने।
●लगता है डर रंगीन सुबह को देखकर,
रुख रातों की तरफ अपना कर लिया हमने।
●खिले रुखसार खुद के पसंद नहीं मुझे,
बीती तस्वीरों को निहारना छोड़ दिया हमने
●छेद रहे थे रंग दिल को गहराई से,
लिबास में कालिख को अपना लिया हमने।
●दीदार अक्सर तेरा होने लगा था खुद में,
निहारना खुद को छोड़ दिया है हमने।
●ज़िक्र तेरा ना हो जाए कंही भरी सभा में,
अपनों से भी मुंह मोड़ लिया है हमने।
●और कितना बदलें खुद को बता ए मेहरमा,
तेरे लिए खुद का क़त्ल कर दिया हमने।
कुछ बीते दिन आवर तुम:
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