Skip to main content

Your Memories (तुम्हारी यादें)

Your memories ( तुम्हारी यादें)

●ये लम्हे काटने दौड़ते हैं,
जब यादें तुम्हारी दस्तक देती हैं।
दिल उखड़ा सांसें भारी सी लगती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।।
●यूँ तो पत्थर बन चुका हूं मैं इनदिनों,
फिर भी नम आंखें हो जाती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
●तू सोया नींद के आहोश में वँहा,
ओझल नींदें आंखों से यंहा रहती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
● एक घड़ी भी अरसे सी लगती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
यूँ तो गौर करता नही में बीते कल पर,
अरसे पुरानी बातें ताज़ी हो जाती हैं,
जब दस्तक यादें तुम्हारी देती हैं।
●झुका नही कभी खुदा के सिवा कंही,
गैरमौजूदगी तेरी मुझे ओकात दिखा देती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
● अक्सर खुद को नायाब बड़ा समझता मैं,
तिजोरी खुशियों की खाली सी लगती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
●हां! गुमान करता हूँ मैं हाथों की लकीरों पर,
पर अक्सर मुझे अपाहिज बना देती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
For another poem click on link given below...
“बेरंग समा"
https://predatorashu.blogspot.com/2020/01/blog-post_7.html


Comments

Popular posts from this blog

What is totem?????

What is TOTEM? टोटम क्या है? नमस्कार आप सभी का मेरे आज के इस ब्लॉग में। आज का ब्लॉग पिछले ब्लॉग से थोड़ा अलग होने वाला है क्योंकि आज के ब्लॉग में हम आधुनिक समाज में रहने के बावजूद उन लोगो के बारे में थोड़ा जानने का प्रयास करेंगे जो जीवन यापन तो 21वीं सदी में कर रहे हैं परंतु अपने रीतिरिवाजों संस्कृति पर अटूट पकड़ बनाए रहने के कारण हमसे पुर्णतः अलग जीवन व्यतीत करते हैं।  यदि हम मानव सभ्यता के बदलावों के रुख करें तो ज्ञात होता है कि इसका एक बेहद प्राचीन इतिहास रहा है। हमें ज्ञात है कि समाज शब्द का विकास संभवतः 19वीं शताब्दी के बाद ही हुआ है । यदि इस परिप्रेक्ष्य में धर्म की बात की जाए तो धर्म सदा मानव के साथ चलने वाली इकाई राही है। इस कथन को सत्य मानते हुए हम कह सकते हैं कि धर्म उतना ही प्राचीन रहा होगा जितना कि समाज है। सदियों से प्रकृति मानाव की रुचि का मुख्य केंद्र रही है। इन्ही रुचियों के कारण नए विचारों का उद्गम हुआ।  समय के साथ साथ जिस प्रकार समाज में बदलाव आया धर्म भी अपने बदलाव के चरणों से गुजरता गया । यदि गौर की जाए तो धर्म , संस्कृति अपने प्रथम चरण में ही शुद्ध अवस्था में

Discovery of India by European युरोप द्वारा भारत की खोज

Discovery of India by European युरोप द्वारा भारत की खोज भारत यह मात्र एक देश नही है अपितु विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र है। यदि विश्व के नक्शे पर संस्कृति,धर्म व आर्थिक रूपांतरण को बयां किया जाए तो शायद ही कोई अन्य देश होगा जो भारत की बराबरी कर सके। जिस समय सम्पूर्ण यूरोप पर ब्रिटैन का व्यापारिक प्रभुत्व था व पुनर्जागरण का ताज ब्रिटैन के सिर की शोभा बढ़ा रहा था उस समय यूरोप का उसकी कामयाबी से जलना स्वाभाविक था। जलन कब प्रतिकार का रूप ले गई शायद समय को भी इसका आभास ना हुआ। वैज्ञानिक,आर्थिक रूपांतरण व पुनर्जागरण के इस दौर में बैंकरों , व्यापारियों द्वारा जब मध्य वर्ग का उदय हुआ तो धीरे धीरे ब्रिटैन के व्यापार को बढ़ावा मिला । इसी बढ़ते व्यापार के कारण यूरोप को भी आर्थिक समृधी की चाह हुई और व्यापारिक जगत में उसका आगमन हुआ। नए पैमानों, कम्पास , नक्शों का काम जब जोर पकड़ने लगा तो समुद्री जगत द्वारा व्यापार करने की इच्छाओं का जागना अवश्यम्भावी हो गया था। क्योंकि अरब द्वारा मिस्र व पर्शिया को जीत लिया गया था जिस कारण व्यापार मुसलिम राज्यों द्वारा शुरू हुआ , चूं

Rape!what does the law say??

Rape! what does the law say?? ( बलात्कार! क्या कहता है कानून??) नमस्कार आप सभी का इस ब्लॉग में। एक समय था जब महिलाओं को देवी स्वरूप पूजा जाता था,आज अखबार के पन्नों में इज़्ज़त का तार तार होना मानो आम बात हो गई है। यह ब्लॉग एक शर्मनाक कृत्य और उसके लिए दी गयी परिभाषा के विषय में है। जंहा एक ओर देश राम मंदिर, कश्मीर जैसे बड़े मुद्दों पर पार चुका है , निर्भया और न जाने कितनी निर्भयाओं के खून से सनी सड़कें यह ओकात दिखा देती है कि देश में महिला सुरक्षा किस कदर नाज़ुक-ए-सूरतेहाल में है साथ ही यह देश के एक वर्ग की तुच्छ मानसिकता को भी प्रदर्शित करती है। ‛बलात्कार' मात्र शब्द भर किसी की ज़िंदगी और मौत के बीच का फांसला बन जाता है। यदि मुगल काल और मुस्लिम राज्यों में सज़ाओं पर गौर की जाए तो शायद ही कोई ऐसी सज़ा होगी जो इस कूर कृत्य के लिए दी जाए। प्रश्न यह है कि किसी के जीवन की क्या कीमत लगा सकती है न्यायपालिका???? इस विषय पर ज्ञान के लिए आइए जान लें कि कानून के अंतर्गत इसकी परभाषा क्या है। हालांकि इस विषय मे फ़िल्म अभी हाली में बनी भी है। Section 373( सेक्शन375) भारतीय दंड संहित