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Your Memories (तुम्हारी यादें)

Your memories ( तुम्हारी यादें)

●ये लम्हे काटने दौड़ते हैं,
जब यादें तुम्हारी दस्तक देती हैं।
दिल उखड़ा सांसें भारी सी लगती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।।
●यूँ तो पत्थर बन चुका हूं मैं इनदिनों,
फिर भी नम आंखें हो जाती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
●तू सोया नींद के आहोश में वँहा,
ओझल नींदें आंखों से यंहा रहती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
● एक घड़ी भी अरसे सी लगती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
यूँ तो गौर करता नही में बीते कल पर,
अरसे पुरानी बातें ताज़ी हो जाती हैं,
जब दस्तक यादें तुम्हारी देती हैं।
●झुका नही कभी खुदा के सिवा कंही,
गैरमौजूदगी तेरी मुझे ओकात दिखा देती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
● अक्सर खुद को नायाब बड़ा समझता मैं,
तिजोरी खुशियों की खाली सी लगती है,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
●हां! गुमान करता हूँ मैं हाथों की लकीरों पर,
पर अक्सर मुझे अपाहिज बना देती हैं,
जब दस्तक तुम्हारी यादें देती हैं।
For another poem click on link given below...
“बेरंग समा"
https://predatorashu.blogspot.com/2020/01/blog-post_7.html


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