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What is totem?????

What is TOTEM? टोटम क्या है?
नमस्कार आप सभी का मेरे आज के इस ब्लॉग में। आज का ब्लॉग पिछले ब्लॉग से थोड़ा अलग होने वाला है क्योंकि आज के ब्लॉग में हम आधुनिक समाज में रहने के बावजूद उन लोगो के बारे में थोड़ा जानने का प्रयास करेंगे जो जीवन यापन तो 21वीं सदी में कर रहे हैं परंतु अपने रीतिरिवाजों संस्कृति पर अटूट पकड़ बनाए रहने के कारण हमसे पुर्णतः अलग जीवन व्यतीत करते हैं। 

यदि हम मानव सभ्यता के बदलावों के रुख करें तो ज्ञात होता है कि इसका एक बेहद प्राचीन इतिहास रहा है। हमें ज्ञात है कि समाज शब्द का विकास संभवतः 19वीं शताब्दी के बाद ही हुआ है । यदि इस परिप्रेक्ष्य में धर्म की बात की जाए तो धर्म सदा मानव के साथ चलने वाली इकाई राही है। इस कथन को सत्य मानते हुए हम कह सकते हैं कि धर्म उतना ही प्राचीन रहा होगा जितना कि समाज है। सदियों से प्रकृति मानाव की रुचि का मुख्य केंद्र रही है। इन्ही रुचियों के कारण नए विचारों का उद्गम हुआ। 
समय के साथ साथ जिस प्रकार समाज में बदलाव आया धर्म भी अपने बदलाव के चरणों से गुजरता गया । यदि गौर की जाए तो धर्म , संस्कृति अपने प्रथम चरण में ही शुद्ध अवस्था में थे समय के साथ साथ बदलने के कारण उनमें विशुद्धियों का समावेश होता गया। 
इन्ही शुद्धियों को बचाने का कार्य कुछ समुदायों द्वारा किआ गया जिन्हें आदिवासी कहा गया


आदिवासी समाज अपने आप में एक रहस्य है । इनकी संस्कृति, रीति रिवाद इत्यादि वैज्ञानिकों के अनुसंधानों का केंद्र रहे है जिनमे से एक का नाम है टोटेम।

दुर्खीम जो कि समाजशास्त्र में एक बेहद आला दर्जे के विद्वान रहे है ,ने विज्ञान व धर्म के क्षेत्र में अपने कार्यों को विस्तृत रूप दे रहे थे। https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%88%E0%A4%B2_%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%96%E0%A5%80%E0%A4%AEE
अपने शोध के दौरान उनका ध्यान ऑस्ट्रेलिया की आदिवासी की तरफ गया। इस विषय में जब दुर्खीम ने ओर शोध किया तो पाया कि वह जनजाति इस अर्थ तक टोटोमिक थी कि वह जीव जंतुओं पेड़ पेड़ों इत्यादि को टोटम के रूप में मानते थे । 
टोटेम यह शब्द सुनने से ऐसा प्रतीत होता मानो यह कोई कला जादू की क्रिया हो परंतु यह शब्द आदिवासियों द्वारा प्रकृति की उन चीजों के लिए प्रयुक्त किया जाता जिनसे वह अपना आत्मिक व दैवीय संबंध समझते। 
आदिवासियों द्वारा जिसको टोटेम रूप में माना जाता उसकी पूजा की जाती थी, उसे कभी भी हानि नही पहुंचाई जाती। साथ ही वह किसी महत्व व उत्सव में टोटम की पूजा विशेष ढंग से करते।
ऊपर दिए चित्र में टोटम का एक रूप दिखाई दिया गया है। यदि उन्हें टोटेम पशु की बली देनी पढ़ती तो वह बड़े सम्मान से उसकी पूजा करते व बाद में शोक भी दर्शाते।
यह न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में होता अपितु उस हर
जगह देखने मिलता जंहा आदिवासी पाए जाते। भारत में लोग सांप, पेड़ पौधों, शेर, मोर आदि को टोटेम रूप में मानते।
एक समान टोटेम को मानने वाले लोगो का आपसी भाव भी बहन का होता व वह आपस में विवाह नही पर सकते।
यही वह दौर था जिसमें धर्म को एक अलग परिभाषा दी गई । 

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